[नमाज़े नबवी शुरू से आखिर तक]
(बिस्मिल्लाहीर्रहमानीर्रहिम)
हर कौम का इबादत करने का एक तरीका होता है और वो उसी तरीके को सबसे अच्छा समझती है लेकिन मुसलमानो का मुआमला इनसे कुछ अलग है क्योंकी हर कौम ने अपना तरीका खुद इज़ाद किया है जबकि हम वो ही तरीका अपनाते है जो हमे अल्लाह तआला ने बताया है और वो अपने सच्चे कलाम में फ़रमाता है
"और नमाज़ कायम रखो और ज़कात दो और रुकूअ करने वालो के साथ रुकूअ करो" (सूरह बकरा-43)
और हमे नमाज़ अदा कैसे करनी है उसका भी तरीका हमारा रब हमे कुछ यु बताता है
"ए ईमान वालो अल्लाह का हुक्म मानो और रसूल का हुक्म मानो और अपने आमाल बातिल न करो" (सूरह मुहम्मद-33)
मतलब ये की अगर हमे अल्लाह सुब्हान व तआला का कुर्ब चाहिए तो नबी (ﷺ) की सुन्नत को अपनाना होगा और आप (ﷺ) के तरीके को छोड़ कर हमे खुद के इज़ाद किये हुवे तरीके पर अमल करने का कोई हक़ नही है वरना अल्लाह तआला हमारी कि हुई तमाम इबादतों को रद्द कर देगा
और हमे नमाज़ का तरीका मुकम्मल अदा करने के लिए एक जामेअ आयत अता फ़रमाता है
और जो कुछ तुम्हें रसूल अता फरमाये वो (ले )लो और जिस (चीज़)से मना फरमाए बाज़ रहो(यानि रुक जाओ), और अल्लाह से डरो। बेशक अल्लाह का अज़ाब सख्त है (सूरह हश्र:7)
""बेशक तुम्हे रसूलल्लाह की पैरवी बेहतर है""(सूरह अहज़ाब:21)
लिहाज़ा हर मुसलमान को रसूलअल्लाह (ﷺ) की नमाज़ को समझ कर उस पर अमल करने की कोशिस करनी चाहिए। इसलिए इस नाकारा राकिम ने हत्तल इमकान हुज़ूर (ﷺ)की पाक़ीज़ा नमाज़ को शुरू ता आखिर तक जमा करने की कोशिश की है ताकि एक सादा फ़हम मुसलमान आसानी से इसपर अमल कर सके।
नोट:-यहाँ कुछ हदीसो का मुकम्मल तर्जुमा ना देकर सिर्फ मफ़हूम भी बयान किया गया है।ताकि अवाम को समझने में आसानी हो
【हमे नमाज़ कैसी पढ़नी है?】
【1】हजरते मालिक बिन हुवेरिस(रज़ियल्लाहु अन्हु) ने रिवायत की अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया......"नमाज उस तरह से पढना जिस तरह मुझे नमाज पढता देखा......
1.सहीहुल बुखारी, किताबुल अजान, जिल्द-1,हदीस-631
2.सहीहुल इब्ने खुज़ैमा, जिल्द-1, हदीस-586
3.सुननुल दारकुतनि, जिल्द-2 हदीस-1295
4.मुसन्दुल अहमद,जिल्द-9,हदीस-20804
5.सुननुल दारमी,किताबुस्सलात,जिल्द-1, हदीस-1288
6.मुसन्दुल इमाम शाफ़ई, किताबुस्सलात, जिल्द-1,हदीस-294
7.सहीह इब्ने हिब्बान,जिल्द-5,हदीस-1872
【क़िबला की तरफ रुख करना और तकबीर कहना】
【2】हज़रते अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की ......रसूलुल्लाह(ﷺ) ने वुज़ु के बाद में क़िबले की तरफ रुख करने और फिर तकबीर कहने का हुक्म फ़रमाया......
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-7,हदीस-6251
2.सहीहुल इब्ने खुज़ैमा, जिल्द-1, हदीस-454
【तकबीरे तेहरिमा में हाथो को कहा तक उठाए】
【3】हजरते मालिक बिन हुवेरिस(रज़ियल्लाहु अन्हु) ने रिवायत की मैने अल्लाह के रसूल(ﷺ)को देखा यहा तक के आप(ﷺ)अपने दोनों हाथो को कानो की लो के बराबर उठाते।
1.सहीहुल मुस्लिम किताबुस्सलात, जिल्द-1,हदीस संख्या-861
2.मुस्नदुल अहमद,जिल्द-6,हदीस-15685
【हाथ कैसे और कहा पर बांधे】
【4】हजरते वाइल बिन हज़र (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की......रसूलुल्लाह(ﷺ) ने अपना दांया हाथ बाए हाथ की पुश्त, गट्टे और कलाई पर रखा(सहीह)
1.सहीहुल इब्ने खुज़ैमा,जिल्द-1, हदीस-480
【5】हजरते वाइल बिन हुज़र (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की मेने रसूल(ﷺ) को देखा आप नमाज़ में अपने दांये हाथ को बाए हाथ पर नाफ के निचे रखे हुवे थे।(सहीह)
1.मुसन्नफ इब्ने अबी शैबा, जिल्द-3,हदीस-3959)
【 सना ,ताउज़,और तस्मिया पढ़ना और उसका तरीका】
【6】हज़रते आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) फरमाती है की जब आप (ﷺ)तहज्जुद की नमाज़ के लिए खड़े होते तो तकबीर के बाद सुबहानका अल्लाहुम्मा वबी हमदिका व तबारकसमुक व तआला जद्दूका व लाइलाह गैरुक पढ़ते(सहीह)
1.सुननुल अबु दाऊद, जिल्द-1, हदीस-767-768)
2.सहीह इब्ने खुज़ैमा,जिल्द-1,हदीस-470
【7】हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद (रज़ियल्लाहु अन्हु) से मरवी है की नबी(सल्लाहो अलैही वसल्लम)........"अऊजुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम" पढ़ते.....।(सहीह)
1.सहीहुल इब्ने खुज़ैमा,जिल्द-1, हदीस-472
【8】हज़रते अनस(रज़ियल्लाहु अन्हु)से मरवी है की नबी (ﷺ)हज़रते अबु बक्र और हज़रते उमर(रज़ियल्लाहु अन्हुम)बिस्मिल्लाहीर्रहमानीर्रहीम को बुलन्द आवाज़ में नही पढ़ते थे(सहीह)
1.सहीहुल इब्ने खुज़ैमा, जिल्द-1,हदीस-497)
【 इमाम और मुनफरद का सूरह फातिहा पढ़ना】
【9】हज़रते उबादा बिन सामित (रज़ियल्लाहु अन्हुम) से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया, "जिसने नमाज में सूरह फातिहा और इससे ज्यादा कुछ और (सूरह को)ना पढ़ा तो उसकी नमाज ही नहीं हुई
note:-(गैर मुक़ल्लिदिन के यहा भी सूरह फातिहा के अलावा दूसरी सूरह सिर्फ इमाम और मुनफ़रद ही पढ़ते है।)
1.सहीहुल मुस्लिम,किताबुस्सलात, जिल्द-1,हदीस-872
2.मुसन्दुल अबु अवाना,जिल्द-1,सफा-450,हदीस-1665
3.सुननुल निसाई,किताबुल इफ्तिताह,जिल्द-1,हदीस-914
【इमाम के पीछे मुकतदी किरअत नही करेगा】
【10】हज़रते ज़ैद बिन साबित (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है मुक़तदी की इमाम के पीछे किसी चीज़ में किरअत नही।
1.सहीहुल मुस्लिम किताबुल मसाज़िद, जिल्द-1,हदीस संख्या-1293)
2.सुननुल निसाई,किताबुल इफ्तिताह,जिल्द-1,हदीस-963
3.सुननुल कुबरा लील निसाई, जिल्द-1, हदीस-1032
4.मुस्नदुल अबु अवाना जिल्द-1, हदीस-1951
5.सुननुल कुबरा लील बैहकी,जिल्द-2,हदीस-2911
【 आमीन आहिस्ता कहनी चाहिए】
【11】हजरते वाइल बिन हुज़र (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूल(ﷺ) सूरह फातिहा के बाद आहिस्ता आमीन कहते(सहीह)
1.मुसन्दुल त्यालसी, जिल्द-2,सफा-360,हदीस-1117
2.सुननुल तिर्मिज़ी,किताबुस्सलात, जिल्द-1,हदीस-235
3.मुस्तदरक अल हाकिम,जिल्द-2,हदीस-2913
4.मुसन्दुल अहमद,जिल्द-8,हदीस-19048
5.सुननुल बैहक़ी,जिल्द-2,हदीस-2447
6.सुननुल दारकुतनी, कितबुस्सलात,जिल्द-2,हदीस-1255
7.मुअज़्ज़्मुल कबीर,जिल्द-22,सफा-9
8.सहीहुल इब्ने हिब्बान,जिल्द-5,सफा-109,हदीस-1805
【 सूरह फातिहा के बाद दूसरी सूरह मिलाना】
【12】हज़रते क़तादा(रज़ियल्लाहु अन्हु) से मरवी है की आप (ﷺ)जुहर की पहली दो रक़आत आ में सूरह फातिहा के बाद दूसरी दो सूरते। पढ़ते थे.....
1. सहीहुल बुखारी किताबुल अज़ान जिल्द-1, हदीस संख्या 776
असर और मगरिब हल्की और ज़ुहर की नमाज़ दरमियानी पढ़नी चाहिए
【13】 हज़रते अबु हुरैरह(रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की
रसूल(ﷺ)....जुहर की दो रकअत लम्बी पढ़ते और दो मुख़्तसर (यानि जुहर दरमियानी पढ़ते)असर को मुख़्तसर पढ़ते और मगरिब की नमाज़ में मुफसल छोटी सूरत तिलावत फरमाते .....(सहीह)
1.सुननुल निसाई,जिल्द-1,हदीस-986)
【फज्र की नमाज़ लम्बी पढ़ सकते है】
【14】हज़रते अबु बुरेदा अस्लमी (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूल (ﷺ)...फज्र की नमाज़ में 60 से लेकर 100 रकआत पढ़ते(यानि लम्बी किरअत फरमाते)
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-771
【फज्र की दो रकअतो में बलन्द आवाज़ से किरअत करना】
【15】हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हु)रिवायत करते है की ......नबी(ﷺ) फज्र की नमाज़ अपने असहाब के साथ पढ़ रहे थे और उनकी किरअत को जिन्नों ने सुना........
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-773
और देखिये हज़रते अनस(रज़ियल्लाहु अन्हु) की रिवायत(सहीह इब्ने खुज़ैमा,किताबुस्सलात,जिल्द-3,हदीस-1592(इसकी सनद ज़ईफ़ है मगर शवाहिद और उम्मत के इज्मा की वज़ह से ये रिवायत सहीह हो गई है)
【पहली दो रकआत में बलन्द आवाज़ से किरअत करना और पिछली रकअत में आहिस्ता से किरअत करना 】
【16】मगरिब की नमाज़ में....
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-763-64)
और देखिये हज़रते अनस(रज़ियल्लाहु अन्हु) की रिवायत(सहीह इब्ने खुज़ैमा,किताबुस्सलात,जिल्द-3,हदीस-1592(इसकी सनद ज़ईफ़ है मगर शवाहिद और उम्मत के इज्मा की वज़ह से ये रिवायत सहीह हो गई है)
【17】 इशा की नमाज़ में.....
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-766-67)
और देखिये हज़रते अनस(रज़ियल्लाहु अन्हु) की रिवायत(सहीह इब्ने खुज़ैमा,किताबुस्सलात,जिल्द-3,हदीस-1592(इसकी सनद ज़ईफ़ है मगर शवाहिद और उम्मत के इज्मा की वज़ह से ये रिवायत सहीह हो गई है)
की पहली दो रकतो में बलन्द आवाज़ से किरत फरमाते और बाकी में आहिस्ता से
【पहली रकअत का दूसरी रकअत के मुकाबले में लम्बी होना】
【18】हज़रते अबु क़तादा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से मरवी है की आप(ﷺ)....सुबह की पहली रकअत दूसरी रकअत से लम्बी फरमाते।
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-758-759)
【पहले रफ्यदेन करना जाइज़ था】
【19】हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूल (ﷺ) रफ्यदेन(यानि अपने हाथो को कानो की लो के बराबर) करते जेसे नमाज़ के शुरू में करते और अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकूअ में चले जाते।
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-736-737)
【लेकिन बाद में रफ्यदेन मनसुख हो गया】
【20】 हज़रते अलकमा रिवायत करते है की अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने फ़रमाया: क्या में तुम्हे नबी(सल्लाहो अलैही वसल्लम) की नमाज़ न पढ़ाऊँ? रावी कहते है की फिर आपने नमाज़ पढ़ाई और एक बार (यानि नमाज़ के आगज़ के वक़्त)के अलावा रफ्यदेन नही किया।(हसन सहीह)
1.मुसन्नफ इब्ने अबी शैबा,जिल्द-2, हदीस-2456
2.सुननुल तिर्मिज़ी,किताबुस्सलात, जिल्द-1, हदीस-243
3.सुननुल निसाई,किताबुल इफ्तिताह, जिल्द-1, हदीस-1029
4.मुस्नदुल अबु याअला,जिल्द-8,सफा-453-54,हदीस-5040
5.सुननुल कुबरा लील निसाई, जिल्द-1, हदीस-649,
6.मुस्नदुल अहमद ,जिल्द-2,हदीस-3681
7.सुननुल अबु दाऊद,किताबुस्सलात, जिल्द-1, हदीस-744
8.शरह मानी उल आसार, किताबुस्सलात , जिल्द-1, हदीस-1258
9.मुअज़म उल कबीर,जिल्द-9, हदीस-9298
10.आसारे सुननुल, सफा-150, हदीस-402
11.अल महली,जिल्द-3,सफा-4
12.नसबुर्राया, जिल्द-1,सफा-394,हदीस-1705,1706
13.मदुन्तुल कुबरा, जिल्द-1,सफा-69
14.मुस्नदुल तहावी,जिल्द-5,सफा-364,हदीस-5066
15.तमहीद लील इब्ने अब्दुल बर्र, जिल्द-9,सफा-215
16.जमअ अल फवाइद,जिल्द-1,शफा-73
17.अतहाफुल महर,जिल्द-10,सफा-392
18.तियसरुल वसूल,जिल्द-1,सफा-326
19.मुख्तसरुल अहकाम,जिल्द-2,सफा-103
20.शरह सुन्नाह लील बगवी,जिल्द-3,सफा-24,तहतुल हदीस-561
21.नखबुल अफकार,जिल्द-4,सफा-163
22.अल दराया, जिल्द-1,सफ़ा-150
23.जुज़ रफुलयदेन,हदीस-32
हज़रते जाबिर बिन समुरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूल(ﷺ)हमारे पास तशरीफ़ लाये और फ़रमाया की क्या बात है की में तुम को रफुलयदेन करता हुवा देखता हु जेसे सरकश घोड़ो की दुमें है नमाज़ में सुकून इख्तियार करो
1.सहीहुल मुस्लिम किताबुसस्लात जिल्द-1,हदीस संख्या-963)
2.सुननुल अबु दाऊद,जिल्द-1,हदीस-988
【 रुकूअ में हाथ कहा रखे】
【22】हज़रत अबु हमीद साअदी (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूल (ﷺ)...जब रुकूअ करते तो घुटनो को अपने हाथो से पूरी तरह पकड़ लेते और अपनी पीठ को झुका देते......
1.सहीहुल बुखारी,जिल्द-1,किताबुल अज़ान, हदीस-828
【रुकूअ की तस्बीह】
【23】 हज़रते हुज़ैफा (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूल(ﷺ) जब रुकूअ में होते तो "सुब्हान रब्बियल अज़ीम" कहते(सहीह)
1.सुननुल अबु दाऊद,जिल्द-1,हदीस-863)
2.सुननुल दारमी, किताबुस्सलात, जिल्द-1, हदीस-1345
【रुकूअ में कमर को हमवार रखना चाहिए】
【24】 हज़रत अबु हुमैद साअदी (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ...जब रुकूअ करते तो अपनी कमर को हमवार रखते और सर को कमर के बराबर इस तरह रखते के वो ना ऊँचा होता और ना झुका हुवा होता और "समीअल्लाहू लीमन हमीदा" कहते हुवे पूरी तरह खड़े हो जाते के हर हड्डी अपनी जगह आ जाती......(सहीह)
1.सहीहुल इब्ने खुज़ैमा, जिल्द-1, हदीस-587
2.सहीहुल इब्ने हिब्बान,हदीस-1862-63)
3.सहीहुल बुखारी,किताबुल अजान, जिल्द-1, हदीस-828
4.सुननुल अबु दाऊद,जिल्द-1,हदीस-726
5.सुननुल इब्ने माज़ाअ,किताब:इकामते सलात,जिल्द-1,हदीस-1061.
【 रुकूअ से सर उठाए तो क्या कहे?】
【25】 हज़रते अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते है की रसूलुल्लाह (ﷺ)..जब (नमाज़ में) समीअल्लाहू लीमन हमीदा" फरमाते तो उसके बाद "अल्लाहुम्मा रब्बना व लकल हम्द" भी कहते.....
1.सहीहुल बुखारी,किताबुल अजान, जिल्द-1,हदीस-795
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