JINN AUR KARAMAT E GAUSE AZAM

बग़दाद ए मुअल्ला में एक साहब जिनका नाम *अबू सईद* की लड़की छत पर गयी और गुम हो गयी
वह साहब ग़ौस ए आज़म के पास आया और कहने लगा सरकार मेरी लड़की  गुम हो गयी कुछ करम करें
ग़ौस ए आज़म ने बताया कि तेरी लड़की को कोई जिन्न कर्ख के जंगलों में ले गया है
वहां जाना और एक वादी में जाकर बैठ जाना आधी रात को वहां जिन्नों का काफिला गुज़रेगा डरना मत
कोई तुझसे कुछ नही बोलेगा
और जब जिन्नात का बादशाह आएगा तो तुझे टोकेगा तो उससे मेरा नाम लेना
लेकिन याद रखना कि वहाँ बैठने से पहले हिसार खींच लेना और मेरा नाम लेकर ये पढ़ना
 *बिस्मिल्लाहि अला नीयती अब्दिल क़ादिर*
और वज़ीफ़ा पढ़ते रहना
अलगर्ज़ वो साहब वहां चला गया हालांकि बहोत ही खौफनाक दहशत से पुर वादी थी मगर गया और ग़ौस पाक का नाम लेकर बैठ गया

जब आधी रात गुज़र गयी तो वहां से खौफनाक शक्ल वाले जिन्नात गुज़रने लगे
 *और सबसे आखिर में जिन्नात का बादशाह हाथ मे तलवार लेकर घोड़े पर आया और उन साहब को टोका और कहा कि इस बयाबान सुनसान वादी में तुम क्या कर रहे हो तुम्हे किसने भेजा है यहां* वो साहब बोले
 *कि सुनो मुझे यहां भेजने वाले कोई और नही बल्कि पीरो के पीर मेहबूब ए सुब्हानी किनदील ए नूरानी बड़े पीर शेख अब्दुल क़ादिर जिलानी हैं*
 _*इतना सुनते ही उस जिन्नात के बादशाह के जिस्म में कपकपाहट हो गयी और खौफ़ से थरथराने लगा और क़दमो के गिर कर बोला कि फरमाइए मेरे पीराने पीर का क्या हुक्म है*_
वो साहब बोले कि मेरी लड़की को कोई जिन्न यहां अगवा करके ले आया है
उसे बादशाह ने बुलवाया तो वो जिन्न को चीन के जंगल से लाकर उसका सर क़लम कर दिया और लड़की को सही सलामत दे दिया गया
 *उन साहब ने पूछा कि आप ग़ौस ए आज़म से इतना डरते हैं
*तो बादशाह बोला कि डरने की बात करते हो
अल्लाह के कुव्वत ओ जलाल की क़सम अगर हम दुनिया के एक कोने पर हों और ग़ौस ए पाक दूसरे कोने पर हों
 *अगर ग़ौस ए आज़म निगाह ए जलालत उठा दें तो हम जलकर राख हो जाये*
 *जिस तरह इंसान बड़े पीर की पनाह में है उसी तरह जिन्नात भी उन्ही की पनाह में है*


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