🌹 سنی اور شیعہ عقائد ❶ 🌹
🌹 सुन्नी और शीआ़ अ़क़ाइद ❶ 🌹
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जैसा कि आपने सुना ही होगा कि मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मेरी उम्मत में 73 फिरके होंगे उसमें से एक ही जन्नती होगा और 72 हमेशा जहन्नम में रहेंगे उन्ही जहन्नमी फिरकों में राफजी यानि शिया भी एक फिरका है,ये अपने आपको शैदाइये अहले बैत कहता है और उनके इसी या अली या हुसैन कहने पर हमारे बहुत से सुन्नी मुसलमान धोखा खा जाते हैं और उन्हें काफिर कहने से परहेज़ करते हैं मगर ये क़ौम अहले बैते अत्हार की मुहब्बत की आड़ लेकर ना जाने कितने ही कुफ्रिया अक़ायद रखती है,वैसे तो हुक्मे कुफ्र एक ही ज़रूरियाते दीन के इन्कार पर लग जाता है मगर इनके यहां तो कुफ्र की भरमार है,इनकी चंद कुफ्री इबारतें पेश करता हूं मुलाहज़ा फरमायें
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❶ शिया अक़ायद - मुहम्मद सल्लललाहो अलैहि वसल्लम ने जिस खुदा की ज़ियारत की वो कुल 30 साल का था,माज़ अल्लाह
📕 उसूले काफी,जिल्द 1,सफह 49
सुन्नी अक़ायद - बेशक खुदाए तआला जिस्म जिस्मानियत से पाक है
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 3
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❷ शिया अक़ायद - अल्लाह तआला कभी कभी झूठ भी बोलता है,माज़ अल्लाह
📕 उसूले काफी,जिल्द 1,सफह 328
सुन्नी अक़ायद - और अल्लाह से ज़्यादा किसी की बात सच्ची नहीं
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 122
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❸ शिया अक़ायद - अल्लाह तआला गलती भी करता है,माज़ अल्लाह
📕 उसूले काफी,जिल्द 1,सफह 328
सुन्नी अक़ायद - बेशक अल्लाह तआला हर ऐब से पाक है
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 4
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❹ शिया अक़ायद - अल्लाह तआला ने हज़रत जिब्रील को पैग़ामे रिसालत देकर अली के पास भेजा था लेकिन वो गलती करके मुहम्मद सल्लललाहो अलैहि वसल्लम के पास चले गए,माज़ अल्लाह
📕 अनवारुल नोमानिया,सफह 237
📕 तज़किरातुल अइम्मा,सफह 78
सुन्नी अक़ायद - और वो (फरिश्ते) कभी भी कुसूर (गलती) नहीं करते
📕 पारा 7,सूरह इनआम,आयत 61
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❺ शिया अक़ायद -
हज़रत अली खुदा हैं,माज़ अल्लाह
📕 तज़किरातुल अइम्मा,सफह 77
सुन्नी अक़ायद - अल्लाह एक है
📕 पारा 30,सूरह अहद,आयत 1
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❻ शिया अक़ायद - तमाम सहाबा सिवाये तीन चार को छोड़कर सब मुर्तद हैं,माज़ अल्लाह
📕 फरोग़े काफी,जिल्द 3,सफह 115
सुन्नी अक़ायद -
और उन सबसे (सहाबा) अल्लाह जन्नत का वादा फरमा चुका
📕 पारा 27 सूरह हदीद,आयत 10
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❼ शिया अक़ायद - मौजूदा क़ुरान नाक़िस है और क़ाबिले हुज्जत नहीं,माज़ अल्लाह
📕 उसूले काफी,जिल्द 1,सफह 26-263
सुन्नी अक़ायद - वो बुलंद मर्तबा किताब (क़ुरान) जिसमे शक की कोई गुंजाइश नहीं
📕 पारा 1,सूरह बक़र,आयत 1
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❽ शिया अक़ायद - मौजूदा क़ुरान तहरीफ शुदा है,माज़ अल्लाह
📕 हयातुल क़ुलूब,जिल्द 3,सफह 10
सुन्नी अक़ायद - बेशक हमने उतारा है ये क़ुरान और बेशक हम खुद इसके निगहबान हैं
📕 पारा 14,सूरह हजर,आयत 8
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❾ शिया अक़ायद - क़ुरान को हुज़ूर के विसाल के बाद जमा करना उसूलन गलत था
📕 हज़ार तुम्हारी दस हमारी,सफह 560
सुन्नी अक़ायद - हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़िन्दगी में ही क़ुरान को तरतीब दे दिया था लेकिन किताबी शक्ल में जमा करने की सआदत हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ को हासिल है
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 114
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❿ शिया अक़ायद - मर्तबये इमामत पैगम्बरी से अफज़ल व आला है,माज़ अल्लाह
📕 हयातुल क़ुलूब,जिल्द 3,सफह 2
सुन्नी अक़ायद - जो किसी ग़ैरे नबी को नबी से अफज़ल बताये काफिर है
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 15
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जारी है...........
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